Not known Details About Shodashi

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श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥१॥

सर्वाशा-परि-पूरके परि-लसद्-देव्या पुरेश्या युतं

॥ इति त्रिपुरसुन्दर्याद्वादशश्लोकीस्तुतिः सम्पूर्णं ॥

अष्टमूर्तिमयीं वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥८॥

The apply of Shodashi Sadhana is actually a journey in direction of each satisfaction and moksha, reflecting the twin nature of her blessings.

यत्र श्री-पुर-वासिनी विजयते श्री-सर्व-सौभाग्यदे

हस्ताग्रैः शङ्खचक्राद्यखिलजनपरित्राणदक्षायुधानां

संरक्षार्थमुपागताऽभिरसकृन्नित्याभिधाभिर्मुदा ।

The Tale is usually a cautionary tale of the strength of drive plus the necessity to acquire discrimination by meditation and adhering to the dharma, as we progress within our spiritual route.

The Tripurasundari temple in Tripura point out, domestically referred to as Matabari temple, was initial founded by Maharaja Dhanya Manikya in 1501, although it was possibly a spiritual pilgrimage web page For most generations prior. This peetham of electric power was at first meant to be considered a temple for Lord Vishnu, but as a consequence of a revelation which the maharaja had inside a desire, He commissioned and put in Mata Tripurasundari within its chamber.

यह देवी अत्यंत सुन्दर रूप वाली सोलह वर्षीय युवती के रूप में विद्यमान हैं। जो तीनों लोकों (स्वर्ग, पाताल तथा पृथ्वी) में सर्वाधिक सुन्दर, मनोहर, चिर यौवन वाली हैं। जो आज भी यौवनावस्था धारण किये हुए है, तथा सोलह कला से पूर्ण सम्पन्न है। सोलह अंक जोकि पूर्णतः का प्रतीक है। सोलह की संख्या में प्रत्येक तत्व पूर्ण माना जाता हैं।

श्रीगुहान्वयसौवर्णदीपिका दिशतु श्रियम् ॥१७॥

The Mahavidyas are a gaggle of ten goddesses that depict numerous areas of the divine feminine in Hinduism.

यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति get more info न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।

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